[]नाम निरहुआ नही है, निरहू है। भोजपुरी भाषी क्षेत्र में हर जगह नाम के आगे आ लगाया जाता है, और ये नाम के आगे आ लगाने का अधिकार सबको नही होता, निरहू का निरहुआ लगना उस प्रेम की निशानी है जो भोजपुरी की जनता अपने गायक अपने हीरो से करती है, वो लगाव है जो दिनेश लाल यादव को अपना दोस्त यार छोटा भाई बेटा जैसा समझती है। जब छोटे थे तो अपने बाजार से गांव आने के लिए जीप चला करती थी, जीप कमांडर जिसमे तब तक सावरिया भरी जाती थी जब तक पीछे तीन सवारी और आगे ड्राइवर का आधा बदन बाहर न लटके। इस जीप भरो आंदोलन में अगर कोई शुरुआत में पहुंच जाए तो बैठे रहने की बोरियत चरम सीमा को छूती थी। एक राहत की बात होती थी वो है जीप वाले द्वारा बजाए गए गाने। बीच के दो तीन महीने का दौर ऐसा था जब जीप वाले ने एक ही गाना लगातार बजाए रखा, पब्लिक भी पसंद करती थी उस गाने को, बाजार से थके मांदे आए लोग उस गाने को सुनकर अपनी थकान भूल जाते थे और बूढ़ पुरानिया लोग बीच बीच में कह भी देते थे कि “सही कहत हौ निरहुआ”ये वो दौर था जब कैसेट की दुनिया अपने आखिरी मुकाम पर थी और लोग धीरे धीरे सीडी प्लेयर खरीदने की हिम्मत जुटाने लगे थे, लोगो को दहेज में मिल रहा था, जिसको को नही मिला तो वो लोग किराए पर लेकर आने लगे।ये भोजपुरी और निरहुआ का सबसे सुनहरा दौर था जब वो अपने गाने के जरिए से गवई समाज के हर छोटे बड़े से कनेक्ट हों गए थे। उस वक्त निरहुआ का सबसे हिट गाना था “निरहुआ सटल रहे” जिसकी वजह से निरहुआ को निरहुआ का नाम मिला। पर दिनेश लाल यादव की जिंदगी ने निरहुआ नाम हासिल करने से पहले बहुत संघर्ष किया,।19 साल की उम्र में अपने पिता को खोने के बाद घर के बड़े बेटे दिनेश लाल यादव की तरफ घर की जिम्मेदारियां मुंह खोले खड़ी थी। निरहुआ ने उस दौर में अपने खानदानी कला की तरफ खुद को समर्पित किया और एक एलबम रिलीज करने में कामयाब हो गए पर असल कामयाबी अभी भी दूर थी,जिंदगी में संघर्ष अभी भी जारी था, एक तरफ खेती बाड़ी देखते थे तो दूसरी तरफ शादियों में बारातियों के मनोरंजन के लिए गांव गांव फिरकर लोकगीत गाते थे।कई बार निरहुआ के पास सिर्फ एक तरफ का किराया होता था और वो इस भरोसे गाने निकल पड़ते थे कि कार्यक्रम के बाद जो पैसा मिलेगा उस पैसे से गाड़ी करके वापस आ जायेंगे पर अक्सर निरहुआ को पैसे नही मिलते थे और निरहुआ सर पर बाजा हरमोनियम लाद कर पैदल घर आते थे। निरहुआ की जिंदगी का ये वो दौर था जब बराती उनसे रात में गाना बंद करने के लिए कहते थे क्युकी निरहुआ के गाने से उनकी नींद में खलल पड़ता था, निरहुआ ऐसे बारातियों से हाथ पैर जोड़कर विनती करते थे कि उन्हें गाने दिया जाए वरना उन्हें आयोजक की तरफ से पैसे नही मिलेंगे न गाने पर। संघर्ष के उस लंबे और कठिन दौर में जब निरहुआ हताश होते तो उन्हे अपने पिता की कही बात याद आती “न छोड़ा मत, लगल रहा, जेतना लोग तोहरा के आज अवॉइड करत बा, ई सब लोग एक दिन तोहसे मिले खातिर तरसी और मिल न पाई”।निरहुआ ने अपने गांव के माहौल का जायजा लेना शुरू किया, और उन्होंने सोचा कि अब वो गांव के लोगो की मनोदशा, माहौल और परिस्थिति के बारे में गायेंगे, गांव देहातो में ये माहौल हुआ करता था कि लड़के शादी के बाद अपने कमरे और घर में जाने से कतराते थे, पर निरहुआ ने देखा कि अब माहौल बदल चुका है और नई नई शादी वाले लड़के अब अपने कमरे और घर से निकलना ही नही चाहते थे। निरहुआ के दो एलबम रिलीज हो चुके थे और निरहुआ ने स्टेज शो करते करते एक और एलबम रिकॉर्ड करवाया, इस एलबम के पीछे निरहुआ ने उस वक्त के बीस हजार रुपए खर्च किए थे और जिस कंपनी को वो एलबम देना था उस कंपनी ने एलबम लेने से मना कर दिया। कुछ दिन हताशा और निराशा में गुजारने के बाद निरहुआ टी सीरीज के ऑफिस गए और अपने एलबम को रिलीज करने की बात कही। निरहुआ वो कैसेट टी सीरीज को देकर अपने गांव आए और एलबम वाली बात भूल कर अपनी खेती बाड़ी में रम गए। तीन चार महीने बाद निरहुआ को अगले प्रोग्राम के लिए बिहार जाना हुआ,प्रोग्राम के लिए थोड़ा लेट हो चुके निरहुआ जब रास्ते में थे तो उन्हे एक जगह बहुत भीड़ दिखी, एक आदमी उनकी गाड़ी को उस भीड़ की तरफ मोड़ने का इशारा कर रहा था, निरहुआ ने उस आदमी से कहा कि “भाई हमको जाने दीजिए एक प्रोग्राम में जाने में देरी हो रही है”उस आदमी ने निरहुआ से कहा कि यही प्रोग्राम है आपका और ये भीड़ आपको सुनने के लिए आई है।
निरहुआ ने स्टेज पर जाकर गाना शुरू किया और पच्चीस पचास की भीड़ आज उनके सामने हजारों की भीड़ में बदल चुकी थी, लोग बार बार उनसे एक ही गाने “निरहुआ सटल रहे” की फरमाइश कर रहे थे।
टी सीरीज को दिया हुआ उनका एलबम बहुत बड़ा हिट हो चुका था और ये भीड़ उसी को सुनकर निरहुआ को देखने सुनने आई थी। उस एलबम के हिट होने के बाद निरहुआ के पुराने एलबम भी लोगो ने सुनने लगे।
उस दौर में निरहुआ के गानों के हिट होने की वजह ये थी कि निरहुआ लोगो के दिल की बाते अपने गानों में पिरोने में कामयाब हो गए थे, उनके गाने एक कन्वर्सेशन की तरह होते थे, जिसमे दो पक्ष होते थे और निरहुआ दोनो पक्ष को अपनी बात रखने देते थे अपने गानों में।
निरहुआ सटल रहे गाने में जहा शुरुआत में उन लड़कों को ताना दिया गया था जिनकी नई नई शादी हुई थी तो दूसरी तरफ गाने का एक हिस्सा ऐसा भी था जिसमे नई बहू कहती है “निरहू हऊये हमार हमसे सटल रहे”
इसके अलावा एक गाना था जिसमे निरहू गांव में पनप रहे कोल्ड ड्रिंक के बारे में बोलते है, “बुढ़िया मलाई खाले बुढ़वा खाला लपसी, केहू से काम न पतोहिया पिए पेप्सी”इसी गाने में एक लाइन है जहा पतोह (बहू) निरहू के ताने के जवाब में कहती है “बाप पिए गांजा और बेटा पिए दारू”। निरहू के गाने इसलिए लोगो की जुबान पर चढ़े क्युकी वो उस दौर की हकीकत थी, वो गाने ढोलक की ताल और लय के बीच एक बात चीत की तरह थे जो लोगो के मन की वो बाते कहती थी जो वो कह नहीं पाते थे।उस दौर में निरहुआ ने एक गाना गवई शादीशुदा जोड़े की नोकझोक पर गाया था जिसमे पत्नी अपने पति से महकने वाले तेल की फरमाइश कर रही थी, जिस दौर में शहर आगे बढ़ रहा था उस दौर की ये हकीकत थी कि गांव के लोगो के लिए महकने वाला तेल भी बहुत बड़ी बात थी।
निरहुआ ने स्टेज पर जाकर गाना शुरू किया और पच्चीस पचास की भीड़ आज उनके सामने हजारों की भीड़ में बदल चुकी थी, लोग बार बार उनसे एक ही गाने “निरहुआ सटल रहे” की फरमाइश कर रहे थे।
टी सीरीज को दिया हुआ उनका एलबम बहुत बड़ा हिट हो चुका था और ये भीड़ उसी को सुनकर निरहुआ को देखने सुनने आई थी। उस एलबम के हिट होने के बाद निरहुआ के पुराने एलबम भी लोगो ने सुनने लगे।
उस दौर में निरहुआ के गानों के हिट होने की वजह ये थी कि निरहुआ लोगो के दिल की बाते अपने गानों में पिरोने में कामयाब हो गए थे, उनके गाने एक कन्वर्सेशन की तरह होते थे, जिसमे दो पक्ष होते थे और निरहुआ दोनो पक्ष को अपनी बात रखने देते थे अपने गानों में।
निरहुआ सटल रहे गाने में जहा शुरुआत में उन लड़कों को ताना दिया गया था जिनकी नई नई शादी हुई थी तो दूसरी तरफ गाने का एक हिस्सा ऐसा भी था जिसमे नई बहू कहती है “निरहू हऊये हमार हमसे सटल रहे”
इसके अलावा एक गाना था जिसमे निरहू गांव में पनप रहे कोल्ड ड्रिंक के बारे में बोलते है, “बुढ़िया मलाई खाले बुढ़वा खाला लपसी, केहू से काम न पतोहिया पिए पेप्सी”इसी गाने में एक लाइन है जहा पतोह (बहू) निरहू के ताने के जवाब में कहती है “बाप पिए गांजा और बेटा पिए दारू”। निरहू के गाने इसलिए लोगो की जुबान पर चढ़े क्युकी वो उस दौर की हकीकत थी, वो गाने ढोलक की ताल और लय के बीच एक बात चीत की तरह थे जो लोगो के मन की वो बाते कहती थी जो वो कह नहीं पाते थे।उस दौर में निरहुआ ने एक गाना गवई शादीशुदा जोड़े की नोकझोक पर गाया था जिसमे पत्नी अपने पति से महकने वाले तेल की फरमाइश कर रही थी, जिस दौर में शहर आगे बढ़ रहा था उस दौर की ये हकीकत थी कि गांव के लोगो के लिए महकने वाला तेल भी बहुत बड़ी बात थी।