सीएम योगी का I.N.D.I.A पर वार, बोले- मजहबी आधार पर देश के विभाजन की रखना चाहते हैं आधारशिला*
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश की जनता को कांग्रेस के घोषणा पत्र के प्रति एक बार फिर आगाह किया है। उन्होंने कांग्रेस के मेनिफेस्टो को भारत जैसे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के लिए घातक बताया है। सीएम योगी शुक्रवार को अपने सरकारी आवास पर मीडिया से बातचीत कर रहे थे। चुनाव में अप्रासंगिक मुद्दे उठने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा शुरू से ही विकास, सुरक्षा और सुशासन के मुद्दे के साथ चुनाव में उतरी थी। पहले चरण का मतदान इन्हीं मुद्दों पर हुआ, मगर पहले चरण से ठीक पहले इंडी गठबंधन के सबसे महत्वपूर्ण घटक कांग्रेस के घोषणापत्र ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है। कांग्रेस अपने मेनिफेस्टो में देश के तालिबानीकरण से लेकर जनता की संपत्ति और पर्सनल लॉ जैसे मुद्दों को समर्थन देकर मजहबी आधार पर देश के विभाजन की आधारशिला रखना चाहती है। भाजपा हर हाल में इसका पुरजोर विरोध करेगी।
*गूगल सर्च में छाया विरासत टैक्स*
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा द्वारा विरासत टैक्स की वकालत किए जाने के बाद 25 अप्रैल को गूगल सर्च में विरासत टैक्स छाया रहा। लोगों ने सैम पित्रोदा और विरासत टैक्स के बारे में जानने के लिए खूब सर्च किया। पिछले 20 साल में विरासत टैक्स के नाम से लोगों ने इतना सर्च कभी नहीं किया जितना पिछले दो दिन में किया है। वहीं सैम पित्रोदा के बारे में गूगल सर्च पांच साल के बाद सर्वाधिक रही। पित्रोदा ने कहा था, अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है। यह कानून कहता है कि आपने अपनी पीढ़ी में संपत्ति बनाई और अब आप जा रहे हैं तो आपको अपनी संपत्ति जनता के लिए छोड़नी चाहिए। पूरी संपत्ति नहीं, बल्कि सिर्फ आधी। हालांकि भारत में ऐसा नहीं है। अगर किसी की संपत्ति 10 अरब है और वह मर जाता है तो उसके बच्चों को उसकी पूरी संपत्ति मिलती है। जनता को कुछ नहीं मिलता।
*भारतवंशी ने अवसाद और हृदय रोग के बीच संबंध का पता लगाया*
भारतवंशी शोधकर्ता ने अवसाद और दिल की बीमारी के बीच संबंध को उजागर करते हुए कहा कि अवसाद और कार्डियोवस्कुलर डिजीज आंशिक रूप से एक ही जीन माड्यूल से विकसित होते हैं। 1990 के दशक से यह अनुमान लगाया जाता रहा है कि दोनों बीमारियां एक दूसरे से संबंधित हैं। दुनिया भर में लगभग 28 करोड़ लोग अवसाद से पीड़ित हैं, जबकि 62 करोड़ हृदय रोग से पीड़ित हैं। फिनलैंड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दोनों के बीच संबंध को जानने के लिए रक्त जीन विश्लेषण का उपयोग किया। फ्रंटियर्स इन साइकाइट्री जर्नल में इसके परिणाम प्रकाशित किए गए हैं। इसमें बताया गया है कि अवसाद-कार्डियोवस्कुलर डिजीज में कम से कम एक कार्यात्मक जीन माड्यूल समान है। यह अध्ययन अवसाद और हृदय रोग के लिए नए मार्करों की पहचान में मदद कर सकता है। दोनों बीमारियों को लक्षित करने वाली दवाएं भी ढूंढ सकता है।
*मोदी के हाथ से निकल गया चुनावः राहुल*
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को दावा किया कि उनकी पार्टी की गारंटी और मोदी की गारंटी में फर्क साफ है तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जानते हैं कि लोकसभा चुनाव उनके हाथ से निकल चुका है। राहुल गांधी ने इंटरनेट मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि कांग्रेस की गारंटी : हिंदुस्तानियों की सरकार, महिलाओं को 8,500 रुपये प्रति माह, युवाओं को एक लाख रुपये प्रति वर्ष की नौकरी और लाख रिक्तियों पर भर्ती किसानों कानूनी एमएसपी है। उन्होंने दावा किया कि मोदी की गारंटी का मतलब ‘अदाणियों’ की सरकार, देश की संपत्ति अरबपतियों की जेब में, चंदे के धंधे वाला वसूली गैंग, संविधान और लोकतंत्र खत्म, किसान पाई-पाई का मोहताज। राहुल गांधी ने कहा कि दोनों गारंटी में फर्क साफ है। कांग्रेस नेता ने कहा कि कांग्रेस हिंदुस्तान में करोड़ों लखपति बनाएगी। अमरावती में एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने बुधवार को दावा किया था कि मोदी सरकार के दस वर्षों में 16 लाख करोड़ रुपये की ऋण माफी के कारण केवल 22-25 लोग अरबपति बन गए, लेकिन अगर विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए सत्ता में आती है, तो वह करोड़ों लोगों को लखपति बनाएंगे।
*भाजपा की बसपा पर नजर, बंटवारे से मिल सकता लाभ*
लोकसभा चुनाव में भाजपा अपनी ताकत के साथ विरोधियों पर भी पूरी नजर रख रही है। उत्तर भारत खासकर उत्तर प्रदेश में वह बसपा पर नजर रखे है, जो इस बार सभी 80 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ रही है। पिछली बार बसपा ने सपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ा था और 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार हालात बदले हुए हैं और भाजपा बंटे हुए विपक्ष का लाभ लेने की कोशिश में है। लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद भाजपा ने हर बूथ से अपनी जानकारी तो जुटाई ही है, विपक्षी खेमे का भी आकलन किया है। उत्तर प्रदेश में वह बसपा पर खास नजर रखे है कि वह क्या विपक्षी इंडिया गठबंधन को नुकसान पहुंचा रही है या नहीं। बसपा ने अभी तक 66 उम्मीदवारों की घोषणा की है, इनमें कई सीटों पर मुसलमान उम्मीदवार भी है। भाजपा को उत्तर प्रदेश में बड़ा लाभ तभी मिलेगा जब बसपा बड़ी संख्या में मुसलमान मतदाताओं का भी समर्थन हासिल कर ले। हालांकि बीते चुनाव में सपा बसपा गठबंधन के बावजूद भाजपा को उत्तर प्रदेश में नुकसान तो हुआ था, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं। भाजपा खुद 62 सीटें जीतने में सफल रही थी। दो सीटें उसकी सहयोगी अपना दल को मिली थी। बसपा को दस व सपा को पांच सीटें मिली थी। एक सीट कांग्रेस को मिली थी। ऐसे में बसपा नए चेहरों के साथ बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद लगाए है। भाजपा की भी कुछ सीटों पर उम्मीद बसपा पर है। चूंकि पहले चरण में मतदान कम हुआ है इसलिए दूसरे दलों की ताकत का भी आकलन भाजपा के लिए जरूरी है। बसपा उत्तर प्रदेश के साथ मध्य प्रदेश व राजस्थान में भी कुछ सीटों पर प्रभावी है। ऐसे में उसका इंडिया गठबंधन से बाहर लड़ने को भाजपा मुफीद मान रही है।
*निजी संपत्ति का हो सकता है सार्वजनिक इस्तेमाल*
प्रीम कोर्ट के नौ जजों की संविधान पीठ ने गुरुवार को कहा कि जरूरत पड़ने पर निजी संपत्ति का सार्वजनिक हित के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। संविधान पीठ ने कहा है कि ऐसा कहना गलत होगा कि किसी व्यक्ति की निजी संपत्ति को सामुदायिक संसाधन नहीं माना जा सकता है। शीर्ष अदालत ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान की है, जिसमें उस कानूनी सवाल से निपट रही है कि क्या संविधान के अनुच्छेद 39बी के तहत किसी व्यक्ति के निजी संपत्ति को सामुदायिक भौतिक संसाधन माना जा सकता है और क्या सरकार इसका इस्तेमाल सार्वजनिक हित के लिए कर सकती है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली नौ जजों की संविधान पीठ ने इस मामले की तीसरे दिन की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की है। संविधान पीठ ने सुनवाई के दौरान यह भी स्पष्ट किया कि वह केशवानंद भारती मामले में 13 जजों की संविधान पीठ द्वारा पारित ऐतिहासिक फैसले के अधीन है। इस ऐतिहासिक फैसले में पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 31सी के एक हिस्से को बरकरार रखा गया था, जिसका उद्देश्य जनहित में बनाए गए कानून को बचाना था। इस फैसले के जरिये बुनियादी संरचना सिद्धांत पर 1973 के केशवानंद भारती फैसले ने संविधान में संशोधन करने की संसद की विशाल शक्ति को खत्म कर दिया था।
*माता-पिता बर्नआउट और अकेलेपन का शिकार*
एक सामाजिक अध्ययन में पता चला है कि 66 फीसदी माता-पिता बर्नआउट का शिकार हैं। घर में बुजुर्ग न होने से अभिभावक अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। अकेलापन व बर्नआउट इन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से अक्षम बना रहा है। अमेरिका के ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के वेक्सनर मेडिकल सेंटर ने अपने शोध में यह दावा किया है। राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग दो-तिहाई माता-पिता (66) ने कहा कि वे अक्सर अलग-थलग और अकेलापन महसूस करते हैं। लगभग 62 लोग माता-पिता के रूप में अपनी जिम्मेदारियों से थका हुआ महसूस करते हैं। लगभग पांच में से दो (38) को लगता है कि उनके पालन-पोषण में उनका साथ देने वाला कोई नहीं है। लगभग पांच में से चार (79) ने कहा कि वे काम और घर के बाहर माता-पिता से जुड़ने के तरीके को महत्व देंगे।
*सतीश ने 75 लाख तो बिजेंद्र और हितेंद्र ने 51-51 लाख किए खर्च*
चुनाव आयोग ने इस बार प्रत्याशियों के चुनावी खर्च की सीमा 95 लाख रुपये तय की थी। इसके चलते प्रत्याशियों ने प्रचार में इस बार खूब खर्च किया है। जिला व्यय समिति के अनुसार, खर्च के मामले में भाजपा प्रत्याशी सतीश गौतम सबसे आगे हैं। उन्होंने 75,60,148 रुपये, सपा प्रत्याशी बिजेंद्र सिंह ने 51,40,333 रुपये, बसपा के हितेंद्र उपाध्याय बंटी ने 51,50,560 रुपये खर्च किए हैं। स्वतंत्र जनताराज पार्टी के सतीश कुमार ने 1,74,845 रुपये, मौलिक अधिकार पार्टी के सुरेंद्र ने 1,04,684 रुपये, लोकतांत्रिक जनशक्ति पार्टी के मनोज शर्मा एडवोकेट ने 61,064 रुपये, राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी के राजकुमार ने 11,8471 रुपये खर्च किए हैं। समान अधिकार पार्टी के मनोज कुमार उर्फ मनोज लोधी ने 1, 30,617 रुपये, निर्दलीय दिलीप कुमार 86,125 रुपये, केशव देव गौतम ने 1,14,676 रुपये, महेश चंद्र शर्मा ने 41,892 रुपये खर्च किए हैं। निर्दलीय राजेश कुमार ने 1,30,030 रुपये, ज्ञानीराम ने 1,30,855 रुपये खर्च किए हैं।
*निर्णायक भूमिका निभाएंगे युवा एवं महिला मतदाता*
लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों की निगाहें युवा एवं महिला मतदाताओं पर टिकी हुई हैं। खासकर 18 वर्ष की उम्र पूरा होने के बाद पहली बार मतदाता बने युवाओं को रिझाने में प्रत्याशियों ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। महिला मतदाता भी प्रत्याशियों की दूसरी सबसे बड़ी पसंद हैं, उनका मानना है कि महिलाएं चुनाव में उनके लिए निर्णायक भूमिका अदा कर सकती हैं। जिले में कुल पुरुष मतदाता 1470644, महिला 1288435 एवं 136 थर्ड जेंडर शामिल हैं। दिव्यांगों व बुजुर्गों को बूथों पर मिलेगी ट्राई साइकिल : आयोग ने इस बार बुजुर्ग व दिव्यांग मतदाताओं के लिए घर से ही पोस्टल बैलेट से मतदान करने की सुविधा प्रदान की थी। साथ ही मतदान केंद्रों पर दिव्यांगों को ट्राई साइकिल और एक सहायक भी मिलेगा। उप जिला निर्वाचन अधिकारी पंकज कुमार ने बताया कि प्रत्येक बूथ पर ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव की मदद से ट्राई साइकिल की व्यवस्था की गई है। शहरी बूथों पर भी यही व्यवस्था की गई है।
प्रत्याशियों की करवटें बदलकर कटी रात*
देश के सबसे बड़े लोकतंत्र का महा उत्सव आज मनाया जाएगा। मतदान कर हर वोटर इस उत्सव में शामिल हो, ऐसा हर स्तर से प्रयास हो रहा है। पिछले एक माह से चल रही कवायद के बीच भाजपा, सपा-कांग्रेस व बसपा के प्रत्याशी सर्वाधिक प्रयासरत हैं। तीनों की रात करवट बदलकर बीती है। मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए मध्य रात्रि तक प्रयास होता रहा है। किसी ने फोन के जरिये हर क्षेत्र में न पहुंच पाने का मलाल जताया तो किसी ने बूथ तक हर मतदाता को पहुंचाने के इंतजाम में दिन बिताया है। अब बारी और जिम्मेदारी मतदाता की है। मतदाता आजादी के बाद से लेकर अब तक हुए मतदान प्रतिशत का रिकॉर्ड बनाए और लोकतंत्र का उत्सव मनाए। चुनाव प्रचार बुधवार को थमने के बाद से प्रत्याशी, दल व समर्थक डोर टू डोर प्रचार-संपर्क के साथ-साथ बृहस्पतिवार को बूथ प्रबंधन में दिन भर जुटे रहे। देर रात तक यही प्रयास और समीक्षा के आधार पर तैयारी होती रही कि कहां हम कमजोर हैं, कहां कैसे मजबूत हो सकते हैं। कैसे हमारा वोटर बूथ तक पहुंचे और कैसे मतदान की प्रक्रिया में शामिल हो सके। भाजपा प्रत्याशी सतीश गौतम ने सुबह कुछ क्षेत्रों में भ्रमण किया और लोगों से संपर्क किया। वहीं, बसपा प्रत्याशी हितेंद्र उपाध्याय बंटी पूरे दिन अपने कार्यालय के पास बैठकर फोन पर ही प्रबंधन में लगे रहे। जबकि सपा प्रत्याशी चौ. विजेंद्र सिंह भी अपने कार्यालय से बूथ प्रबंधन व शुक्रवार की रणनीति बनाने में जुटे रहे। इसके बाद इन प्रत्याशियों ने अपनी रात कत्ल की रात के रूप में काटी और तीनों की रातें करवटें बदलकर बीतीं। किसी ने अपने कुछ कार्यकर्ताओं की ड्यूटी रात भर के प्रबंधन में लगाई तो कुछ की तड़के जगने के बाद की व्यवस्थाओं में लगाई।
*1977 में बना था सर्वाधिक मतदान का रिकार्ड*
हमारी जिम्मेदारी है कि हम मतदान का प्रतिशत बढ़ाएं और आजादी के बाद से लेकर अब तक का सबसे मजबूत मतदान प्रतिशत कर रिकॉर्ड बनाएं। अब तक के रिकॉर्ड की बात करें तो सर्वाधिक मतदान वर्ष 1977 में और उसके बाद दूसरे नंबर का सर्वाधिक मतदान वर्ष 2019 में हुआ है। अब रिकॉर्ड बनाने की जिम्मेदारी हमारे ऊपर है। ताकि हम लोकतंत्र के सहभागी बन सकें। पुराने रिकॉर्ड पर गौर करें तो वर्ष 1977 में 64.8 फीसद व 2019 में 62.3 फीसद मतदान हुआ है। इससे ज्यादा मतदान कभी नहीं हुआ। अब चूंकि हम आजादी के 75 वर्ष बिता चुके हैं। इसलिए हमारी जिम्मेदारी रिकॉर्ड बनाने की है।
रामकृष्ण त्रिपाठी
भारतवर्ष समाचार
महाराजगंज
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